नमस्कार, आज मै जो आपके लिए टापिक लेकर आये है वे आपके लिए जानना काफी जरुरी है आज का टापिक है POCSO Act – पोक्सो एक्ट या अधिनियम 2012 । जिसे बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया है। पोक्सो एक्ट आपको महिला एवं बाल अपराध जानने के लिए बहुत जरूरी है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज में सरकार द्वारा बनाई गई विशेष नियमों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
दोस्तों ब्रेकिंग न्यूज से लेकर सुबह के अखबार तक, हम हर दिन बाल यौन शोषण की खबरें लेकर आते हैं। जैसे कभी ये सुनने को मिलता है कि “एक 17 वर्षीय लड़की को उसके रिश्तेदार ने यौन उत्पीड़न किया और अपहरणकर्ता को POCSO अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया या
2 महीने के बच्चे का यौन शोषण किया गया और उसे जला दिया गया, अपहरणकर्ता POCSO अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया।
भारत में POCSO की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्यों दोषी पाए जाने पर सजा अलग-अलग होती है? आइए हम इसके बारे में अधिक जानते हैं,
POCSO Act Kya Hai ?
सबसे पहले हम लोग ये जानेगें कि POSCO Act Full Form क्या है – Protection of Children from Sexual Offense (लैगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) भी कहते है। इस अधिनियम को 2012 में बनाया गया था
केंद्र सरकार को बच्चों के लिए एक अलग कानून बनाने के लिए विधायी अधिकारियों को एक साथ लाने के लिए प्रेरित किया। यह POCSO कानून बाल दिवस -14, 2012 को विधान सभा में पारित किया गया था।
IPC और POCSO Act के बीच का अंतर?
- IPC में दोषी को विपक्ष द्वारा दोषी साबित किया जाना है, लेकिन POCSO में, अपमान करने वाले को खुद को दोषी साबित करना होगा।
- कानून निर्माता POCSO Act को 5 पैरामीटर्स में वर्गीकृत करते हैं जब कोई व्यक्ति बच्चे के निजी अंगों को छूता है या बच्चे को उन्हें छूने के लिए मजबूर करता है
- बच्चे के योनि / मूत्रमार्ग / गुदा / वस्तु / एक अन्य शरीर के हिस्से को सम्मिलित करना, या बच्चे को उनके या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए कहना
- सम्मानजनक और विश्वसनीय स्थिति में बच्चों के साथ भेदक / संभोग करना।
- एक बच्चे को बिना किसी शारीरिक संपर्क के यौन शोषण किया जा सकता है। इसमें सोशल मीडिया में बच्चे के साथ सेक्स चैट करना, एक बच्चे को यौन रूप से अंतर्निहित चित्र, स्टिकर या अश्लील चित्र प्रदर्शित करना, एक बच्चे को अपने कपड़े या एक बच्चे को जननांगों के अश्लील प्रदर्शन को हटाने के लिए मजबूर करना
- एक बच्चे के स्नान के दौरान उन्हें नग्न देखना या जब वह असहज हो उन्हें गंदी फिल्में दिखाना और उन्हें अभिनय करने के लिए कहना , यौन उत्पीड़न के तहत आएगा
यदि आप किसी भी बाल यौन शोषण के दौरान आते हैं और अधिकारियों को रिपोर्ट नहीं करना एक अपराध है और दंडनीय है।
- या कोई और व्यक्ति यौन उत्पीड़न के तहत आएगा, सम्मानजनक नौकरियों में लोग, विश्वसनीय पद जिनके कर्तव्यों में सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं, न्यायाधीशों जैसे बच्चों को सुरक्षा प्रदान करना शामिल है।
- वकीलों, डॉक्टरों, शिक्षकों, कलेक्टरों, चिकित्सकों के माता-पिता सहित रक्त संबंध जो बाल यौन शोषण करते हैं उन्हें इस श्रेणी में लाया जाता है।
पाँक्सो एक्ट -2012 क्यों लाया गया ?
- चूँकि 2012 से पहले बच्चों के लिए कोई कानून नहीं था।
- बच्चों के प्रति लैगिंक अपराधों में जबरदस्त व्रध्दि(300 प्रतिशत) होना
पाक्सों एक्ट – POCSO Act से पहले का क्या कानून था?
2007 में, महिला और बाल सुरक्षा मंत्रालय बाल यौन शोषण पर सर्वेक्षण करता है। सर्वेक्षण के परिणाम से पता चलता है कि 53.20% बच्चे एक से अधिक बाल यौन शोषण से प्रभावित थे। 53.20% बच्चों में से सबसे अधिक प्रभावित पुरुष बच्चे थे।
बालिका के लिए धारा 354 एवं 375 जबकि बालकों के लिए 377 धारा थी जिसके अन्तर्गत अप्राक्रतिक लैंगिक अपराध आता है
इन कानूनो में कुछ कमी थी- यदि अपराधी पीड़ित के साथ निजी संबन्ध न बना के कोई बाहरी वस्तु का इस्तेमाल करता हैतो वे रेप में शामिल नही होता था जिसकी वजह से इस कानून को सर्वसम्मति से हटा दिया गया।
पोक्सो एक्ट या अधिनियम 2012 के अन्तर्गत पीड़ित की उम्र 18 वर्ष से कम होनी चाहिये वहीं आरोपी के लिए कोई उम्र सीमा नही होती है। जिसमें पीड़ित की सहमति एवं असहमति का कोई महत्व होता है।
पास्को एक्ट धारा क्या है
वैसे तो पॉक्सो एक्ट के अन्तर्गत 40 से भी अधिक धाराएं शामिल है लेकिन यहां पर हम कुछ महत्वपूर्ण धाराओं के बारें बात करेंगे
- धारा 3 – प्रवेशन लैगिंक हमला(Penetrative Sexual Assault) – PSA धारा के अन्तर्गत 18 वर्ष से कम और 12 वर्ष से ज्यादा बच्चों के साथ यौन शोषण
- धारा 4 – सजा
- धारा 5 – गुरुतर या गंभीर प्रवेशन लैगिंक हमला(Agravated PSA)– इसके अन्तर्गत वे लोग शामिल जैसे पुलिस सशत्र बल सरकारी कर्मचारी पड़ोसी परिवार का सदस्य शैक्षणिक एवं धार्मिक या अस्पताल इनसे संबन्धित निजी एवं संविदा के कर्मचारी
पीड़ित की आयु 12 वर्ष से कम का होने पर वह APSA के अन्तर्गत आता है
कुछ ऐसी परिस्थितिया है जो कि APSA में शामिल होती है जैसे-
दंगा फसाद के दौरान,बलिका गर्भवती,गैंगरेप 18 वर्ष से कम गर्भवती महिला,मानसिक एवं शारीरिक अक्षम,जानलेवा बीमारी से ग्रस्त,पीड़ीता की हत्या का प्रयास,सार्वजनिक रुप से निर्वस्त्र,POSCO Act का दो बार उल्लघंन,एसिड हमला,
- धारा 7 लैगिंक हमला
- धारा 9 – गंभीर लैगिंक हमला
- धारा 11- लैगिंक उत्पीड़न
- धारा 13 – अश्लील सामग्री
- धारा 21 – सजा रिपोर्ट करने पर
- धारा 22- मिथ्या अपराध के लिए
पॉक्सो एक्ट में संशोधन – POCSO Act Amendment 2019
POCSO Act Amendment 2019 में कुछ धाराओ में परिवर्तन किया गया है जैसे –
धारा – 4, वर्ष 2012 एक्ट के तहत सजा 7 वर्ष से कम नही और जुर्माना के साथ आजीवन कारावास का प्रावधान था।
जिसमे कि 2019 में कुछ बदलाव किये गये जिसके अंतर्गत 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास और यदि पीड़ित की उम्र 16 वर्ष से कम है तो 20 साल की न्यूनतम सजा का प्रावधान है
और साथ ही साथ मेडिकल एवं पुनर्वास का खर्चा वहन करना पड़ेंगा
धारा 5,6- वर्ष 2012 एक्ट के तहत सजा 10 वर्ष से कम नही और जुर्माना के साथ आजीवन कारावास का प्रावधान था।
जो कि 2019 में बदलाव के तहत न्यूनतम 20 वर्ष या आजीवन कारावास या म्रत्युदंड हो सकता है
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2019 के पॉक्सो एक्ट में संशोधन करने के बाद इस पूरे भारत में कानूनी रुप से लागू कर दिया गया है पॉक्सो एक्ट की सुनवाई भी एक कानूनी प्रक्रिया के तहत की जाती है जिसके कुछ अपने नियम एवं शर्ते है-
- यदि अपराधी किशोर है तो उसके ऊपर किशोर अधिनियम 2000 के तहत मुकदमा चलाया जायेगा।
- पॉक्सो एक्ट की सुनवायी एक विशेष अदालत में होती है ,जिस कमरे में कि जाती है वहां पर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था होनी चाहिये और सुनवाई माता पिता के बच्चे के समक्ष होती है
- यदि पीड़ित बच्चा किसी भी प्रकार विकलांगता से ग्रस्त हैतो उसे एक विशेष अनुवादक दिया जाता है।
- पॉक्सो एक्ट में बच्चे के साथ हुए यौन शोषण की सुनवाई 1 साल के भीतर निपटाने को कहा जाता है।
- ऐसे लोग जो जानबूझकर बच्चों से देह व्यापार करवाते हैं, उन्हें भी पॉक्सो एक्ट के तहत सजा सुनाई जाती है।
- इस दौरान पुलिस की भूमिका बढ़ जाती है। बच्चे की देखभाल व संरक्षण करना पुलिस का ही कर्तव्य है। बच्चों के लिए उपचार सुविधा उपलब्ध कराना पुलिस का ही कार्य हो जाता है।
- अभियुक्त द्वारा झूठी जानकारी देने या बच्चे के खिलाफ गलत बोलने पर भी सजा का प्रावधान है।
पॉक्सो केस की समय सीमा – POCSO case deadline
बलात्कार के केस में संशोधित अधिनियम के तहत पुलिस को पुलिस को 2 महीने के अंदर अपनी जांच पूरी करनी होगी। कोर्ट को 6 महीने के अंदर फैसला सुनाना होगा।