चूंकि हमारे मस्तिष्क मे Reticular formation होता है, जो हमे हर चीज़ की खबर देता है।हमारे शरीर मे होने वाला किसी भी तरह का प्रभाव हमारे मस्तिष्क को जल्दी से पता चल जाता है, जिससे हमे किसी भी दर्द का अहसास जल्दी से हो जाता है, Reticular Formation मे brainstem nuclei व neurons का complex network होता है। यह दिमाग मे integration व relay सेंटर के रूप मे काम करता है। Reticular Formation हमारे मस्तिष्क मे बहुत ही प्रभावी काम जैसे उत्तेजना, नींद का जगाना, सांस व हृदय पर कंट्रोल, दर्द का अहसास, सर्कैडियन रिदम, Consciousness आदि करता है।
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Reticular Formation
Reticular Formation क्या होता है? – What is the Reticular Formation?
यह एक nuclei व neurons का एक कनैक्शन होता है। इसलिए इसे Reticular कहते है। यह central व peripheral nervous systems अलग अलग हिस्सो को बहुत ही सावधानी से ट्रैक्स करने के integrating, coordinating, और influencing जैसे काम करता है। Reticular formation की अलग से कोई सीमा नही होती है तथा ही कोई Limitation नही होती है। Reticular formation को मार्क करने के लिए और पढ़ने के लिए एक हार्ड स्ट्रक्चर बन जाता है। Reticular formation नेचर के अनुसार extensive के बारे मे पता नही लगाती है।
Reticular formation कैसा होता है? (संरचना)
Reticular formation ब्रेनस्टेम nuclei व neurons का एक शुद्ध स्ट्रक्चर की तरह बना होता है। ब्रेनस्टेम मस्तिष्क मे एक्स्टेंडेड भाग को कवर करता है।
यह मेसेंफेलन से निकलती हुई मज्जा ओब्लाटमाटा से बड़ी सावधानी से होती हुई रीढ़ की हड्डी के भागो मे जाती है। इसकी कोई खास साइटोएक्टेक्टेक्टोरल लिमिट नही होती है। यह पूरे मस्तिष्क मे फैला हुआ होता है जो बहुत से आपस मे जुड़े neurons के एक नेटवर्क की तरह होता है। इसकी कोई लिमिट नही होने के कारण इसमे 100 से ज्यादा ब्रेनस्टेम nuclei होती है।
Neuronal के इस कनेक्शन मे कोई खास ब्रेनस्टेम nuclei नही होती है। जैसे लाल nuclei, nuclei रेटिकुलिस टेक्टेरी पोंटिस यह Reticular formation मे एम्बेडेड होता है। ट्रैक्स के फैले हुये नेटवर्क के कारण साथ ही साथ इंटरकनेक्टेड स्ट्रक्चर के कारण Reticular formation रिले, Integration और Coordination सेंटर के रूप मे काम करता है। यह प्रोटेक्टिव रेफ़्लेक्सेस को भी कंट्रोल करता है।
Reticular formation अपने नेटवर्क के बड़े फैले हिस्से के जरिये बदलने व महत्वपूर्ण कार्यों को Coordination करने का काम करता है। हमारे मस्तिष्क मे कार्डियोवस्कुलर कंट्रोल होता है, यह खास तोर से Medula Obongata मे अपये जाने वासोमोटर सेंटर को सुधारता है।
सांस लेने के हार्ड काम को Coordination करने के लिए ट्राइजेमिनल, ग्लोसोफेरींगल, वेगस, फेशियल, हाइपोग्लोसल नसों के कपाल तंत्रिका यह सभी मोटर nuclei से जुड़े होते है।
Reticular formation के महत्वपूर्ण मार्ग
हम बहुत से अनुमान लगाते है, यह सब Reticular formation के कारण ही होता है। यह मस्तिष्क के सबकोर्टिकल और कॉर्टिकल हिस्सो मे चढ़ता है, या रीढ़ की हड्डी के दूसरे भागो मे उतरता है। इसमे दो मार्ग होते है जिसके कारण हमे शरीर के भागो मे होने वाले प्रभावों का पता चलता है। यह दोनों मार्ग आरोही और अवरोही मार्ग है। यह हमे सतर्कता, उत्तेजना, नींद का जगाना, सर्कैडियन रिदम, Consciousness आदि के काम मे सहयोग करता है।
आरोही मार्ग
आरोही Reticular Activation system मे न्यूरोनल की आबादी होती है, जिसमे डोपामिनर्जिक, ग्लूटामेटेरिक, सेरोटोनर्जिक, कोलीनर्जिक, हिस्टामिनर्जिक, और नॉरएड्रेनाजिक मे मस्तिष्क nuclei होते है। इसमे से मुख्य रूप से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स थैलेमस और सेरेब्रल कॉर्टेक्स अनुमान लगाता है।
आरोही Reticular Activation system मे एक पार्श्व हाइपोथैलेमस की Regulatory system होता है। यह वो हिस्सा होता है जहा पर ऑरेक्सिन न्यूरॉन्स पाये जाते है। यह सतर्कता और नींद-जागने के लिए होता है। इस भाग को नुकसान तब होता है जब बीमार व्यक्ति के Consciousness व improvement लेवेल मे कमी होती है।
यदि इसमे किसी भी प्रकार का घाव होगा तो यह आरोही Reticular Activation system को प्रभावित करता है। इससे मरने के चान्स भी हो जाते है। यह सिस्टम वास की घटना के लिए जिम्मेदार हो सकते है। यह हमारे दिमाग को उत्तेजनाओं को नजर अंदाज करने के लिए बोल सकता है।
रेटिकुलोस्पाइनल ट्रैक्ट्स Reticular formation अवरोही के मार्ग है, यह रीढ़ की हड्डी के बहुत से लेवेल पर काम करता है। इसमे रीढ़ की हड्डी के मोटर न्यूरॉन्स के लिए कुछ प्रोजेक्ट करते है, जिससे दूसरी Sensory उत्तेजनाओं जैसे नजारा, सुनना, संतुलन, पोजीशन, शरीर मे होने वाली गतिविधिया आदि को Coordinate करने मे मदद करता है।
अवरोही मार्ग
अवरोही Reticular formation मे लेटरल सिस्टम होता है जिसमे कॉर्टिकोस्पाइनल और रूब्रोस्पाइनल ट्रैक्ट होते है। अवरोही रेटिकुलोस्पाइनल ट्रैक्ट्स से रेटिकुलोस्पाइनल पाथवे और वेस्टिबुलोस्पाइनल का मार्ग बनता है।
यह आगे चलकर कुछ प्रोटीन पार्श्व मेडुलरी रेटिकुलोस्पाइनल ट्रैक्ट मे अलग हो जाता है।हर एक पोंटेटिन रेटिकुलोस्पाइनल ट्रैक्ट एक्स्टेंसर मस्कुलर को कंट्रोल करने का काम करता है।
Reticular formation अवरोही मार्ग अपनी position बनाये रखने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर इसमे किसी प्रकार की परेशानी होती है तो यह रेटिबुलोस्पाइनल ट्रैक्ट में रेटिकुलोस्पाइनल ट्रैक्ट को नुकसान पहुचा सकता है। जिससे मरीज को अपनी अंदर के गति मे बदलाव मिल सकते है। यानि की शारीरिक गतिविधिया धीमी हो सकती है।
Reticular formation के काम
Reticular formation के कुछ मुख्य काम है जैसे दर्द, आंखो से जुड़ी चिजे, Embryology, खून के भरपाई आदि के काम को पूरा करने मे मदद करता है चलिये जानते है।
दर्द मॉडुलन
Reticular formation का महत्वपूर्ण भाग है जो दर्द के होने पर अहसास करवाता है। यदि किसी प्रकार के चोट लाग्ने पर दर्द आरोही मार्ग से होता हुआ Reticular Activation सिस्टम से गुजरता है।
यह सिस्टम आरोही मार्ग का निर्माण करती है। यह एनाल्जेसिक दर्द मार्ग मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एनाल्जेसिक दर्द मार्ग रीढ़ की हड्डी मे पाये जाने वाले गेट-कंट्रोल तंत्र के जरिये काम करता है।
Marrow मे Reticular formation ब्रेनस्टेम और रीढ़ की हड्डी के अलग अलग भागो मे होने वाले दर्द व एनाल्जेसिक मार्गो को समझता है। यह न्यूरोपैथिक दर्द को एक अंतर्दृष्टि देता है।
आंखो से जुड़ी प्रक्रिया
Reticular formation आंख की रोशनी, आंखों की पुतलियों के Coordination करने मे साथ ही साथ सिर मे होने वाली गति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। Reticular formation के अलग अलग भाग अलग अलग ओकुलर कार्यों के लिए जिम्मेदार होते है। मेसेनसेफिलिक Reticular formation एक Vertical टकटकी को Coordinate करता है। यह एक्सट्रोक्युलर मोटर nuclei के लिए प्रोजेक्ट करते है की saccadic आंखो की गतिविधियो के जरूरी है या नही।
Embryology मे Reticular Formation
गर्भावधि के समय मे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का विकास होना शुरू हो जाता है, जिसमे मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी शामिल होती है। यह जन्म के बाद तक यानि के किशोरावस्था तक या ज़िंदगी भर तक जारी रहती है।
गैस्ट्रलेशन होने के बाद यह भ्रूण मे तीन-स्तरीय स्ट्रक्चर बनाता है, जिससे भ्रूण न्यूरोलेशन की प्रक्रिया से गुजरना शुरू कर देता है। यहा से तंत्रिका तंत्र formation के शुरुआत होने लगती है। न्यूरुलेशन के अंदर बनने वाली पहली संरचना न्यूरल प्लेट, एक्टोडर्मल Tissue का एक गाढ़ा भाग होता है जो 20 से 27 बार भ्रूण के दिनो मे न्यूरल ट्यूब बनाता है।
खून के सप्लाइ करना
शरीर मे जब ब्रेनस्टेम व न्यूरॉन्स के नेटवर्क फैल जाते है तो Reticular खून सप्लाइ करना शुरू कर देता है। ब्रेनस्टेम को खून की सप्लाइ मस्तिष्क के वर्टेब्रोबैसिलर सिस्टम से किया जाता है। Posterior cerebral circulation system मे शुरुआत मे Vertebral धमनियों, subclavian धमनियों से पैदा होता है।
यह हमारे खोपड़ी के अग्रमस्तिष्क के जरिये धमनी दिशा में घूमती रहती है। Reticular formation हमारे शरीर मे होने वाली सभी गतिविधीयो को समझने मे हमारे मदद करता है, जिसमे से किसी भी तरह के प्रभाव जब हमारे शरीर पर पड़ता है तो हमे तुरंत पता चल जाता है। यदि इसमे किसी प्रकार की कमी होती है तो व्यक्ति को कुछ समस्या हो सकती है जैसे रीढ़ की हड्डी में चोट आना, नार्कोलेप्सी, REM behavior disorder, पार्किंसंस रोग, तनाव विकार, या तक की पागलपन की बीमारी भी।
निष्कर्ष
इंसान का दिमाग बहुत से काम को करने मे सक्षम होता है। जैसे की अनुमान लगाना, सोचना, शरीर मे होने वाली किसी भी हल चल को तुरंत मस्तिष्क तक पहुचा देना। जिससे हमारे बॉडी मे होने वाली दर्द (पेट, हाथ, पीठ) हमे जल्दी से महसूस करा देता है। यह सभी हमारे दिमाग मे Reticular formation की वजह से संभव हो पाता है। अक्सर Reticular formation मे कमी होने से पागलपन की परेशानी हो सकती है। दोस्तो हम उम्मीद करते है, की Reticular formation के बारे मे पढ़ कर आपको पता चल गया होगा की हमारा मस्तिष्क कैसे काम करता
है।